कौन हैं सर्वेश कुशारे, भारतीय हाई जम्पर जो पेरिस ओलंपिक 2024 में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं?

 प्रारंभिक जीवन


सर्वेश कुशारे का जन्म 17 जून 1995 को महाराष्ट्र के नासिक के पास छोटे से गाँव देओगाँव में हुआ था। बचपन से ही उनके अंदर खेल के प्रति गहरा जुनून था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गाँव के ही स्कूल में पूरी की। गाँव में सुविधाओं की कमी के बावजूद, सर्वेश ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से हाई जम्प की शुरुआत की। अपने स्कूल के कोच आर.डब्ल्यू. जाधव के मार्गदर्शन में, उन्होंने गोबर और कृषि अवशेषों से बने अस्थायी मैट पर अभ्यास करना शुरू किया। शुरुआती दिनों में उनके पास बेहतर संसाधन नहीं थे, लेकिन उनके परिवार और कोच ने उन्हें कभी हार नहीं मानने की प्रेरणा दी।

 एथलेटिक्स करियर


सर्वेश ने अपने करियर की शुरुआत में ही कई काफी उपलब्धियाँ हासिल कीं। 2018 में, उन्होंने नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 2.24 मीटर की छलांग लगाकर गोल्ड मेडल जीता। यह उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ था और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके बाद, 2019 में, उन्होंने इंडियन ओपन चैंपियनशिप में 2.26 मीटर की छलांग लगाई और इंटरनेशनल डेब्यू किया। उनकी लगातार मेहनत और उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते उन्होंने 2022 में भारतीय राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 2.27 मीटर की छलांग लगाकर नया पर्सनल बेस्ट बनाया। इन उपलब्धियों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई और उन्हें विश्व के शीर्ष हाई जम्परों में शामिल कर दिया।


 पेरिस ओलंपिक 2024 में खेल का समय


सर्वेश ने पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई करने के लिए नीरज चोपड़ा से प्रेरणा ली और कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया। नीरज चोपड़ा के मार्गदर्शन और सलाह ने सर्वेश को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पोलैंड में ट्रेनिंग की और अपने प्रदर्शन को उच्चतम स्तर पर पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनका कहना है कि "ओलंपिक में खेलने का सपना हर एथलीट का होता है, और मैं अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।" पेरिस ओलंपिक में उनकी तैयारी और आत्मविश्वास को देखते हुए, उनके फाइनल में पहुँचने की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं।

 चुनौतियाँ और प्रेरणा


अपने करियर के दौरान, सर्वेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि चोटें और रैंकिंग की चिंताएँ। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। चोटों के बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण को जारी रखा और अपने खेल में सुधार करते रहे। नीरज चोपड़ा की सलाह और उनके आत्मविश्वास ने सर्वेश को इन सब पर विजय पाने में मदद की। उन्होंने अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया, जिससे उन्हें उच्च प्रदर्शन करने में सहायता मिली। सर्वेश की कहानी न केवल प्रेरणादायक है बल्कि यह भी दिखाती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।

 भविष्य की योजनाएँ


सर्वेश का लक्ष्य न केवल पेरिस ओलंपिक में फाइनल राउंड में पहुँचने का है, बल्कि राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने का भी है। वह अपनी ट्रेनिंग और मानसिक तैयारी पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ताकि वह अपने देश के लिए सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा, "मेरा सपना है कि मैं ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करूं और युवाओं को प्रेरित करूं कि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।" उनकी तैयारी और उनकी मेहनत को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वह अपने सपनों को साकार करने के बहुत करीब हैं।



यह विस्तृत लेख सर्वेश कुशारे की जीवन यात्रा, उनकी उपलब्धियाँ, और पेरिस ओलंपिक 2024 की तैयारी को प्रदर्शित करता है। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आपके लेख को उच्च गुणवत्ता और एसईओ अनुकूल बनाने में मदद करेगी।

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