हेरंब संकष्टी चतुर्थी का पर्व हर वर्ष भक्तों द्वारा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। भगवान गणेश के भक्तों के लिए यह विशेष दिन है, जिसमें वे भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे अपने जीवन की सभी बाधाओं और कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की कामना करते हैं।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का महत्व
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहन है। इसे विशेष रूप से गणेश जी की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसलिए, इस दिन उनके विशेष रूप से पूजन का आयोजन किया जाता है। यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, और विशेष रूप से हेरंब संकष्टी चतुर्थी का महत्व अधिक होता है क्योंकि यह भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप से संबंधित है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी 2024: तिथि और समय
हेरंब संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि और समय की जानकारी जानना आवश्यक है ताकि सही समय पर पूजन और व्रत का पालन किया जा सके।
- तिथि: 24 अगस्त 2024, शनिवार
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2024, रात 9:22 बजे से
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 24 अगस्त 2024, रात 11:30 बजे तक
इस समय के दौरान भगवान गणेश की पूजा करना और व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
हेरंब संकष्टी चतुर्थी के व्रत की विधि बहुत ही सरल और प्रभावी होती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत तरीके से की जाती है, और उनके समक्ष अपनी मनोकामनाओं को व्यक्त किया जाता है।
स्नान और शुद्धिकरण: इस दिन प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
गणेश पूजन: भगवान गणेश की पूजा के लिए उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और पंचामृत अर्पित करें।
गणेश मंत्र का जाप: इस दिन 'ॐ गण गणपतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होता है और भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए इसका जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
व्रत का पालन: इस दिन व्रत रखें और फलाहार करें। संध्या के समय चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करें और उसके बाद ही व्रत तोड़ें।
कथा सुनना: व्रत के दौरान गणेश जी की कथा का श्रवण करना चाहिए। इससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी के लाभ
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में कई प्रकार के लाभ होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में आ रही बाधाओं से परेशान हैं और सफलता पाना चाहते हैं।
बाधाओं का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं का नाश होता है।
सुख और समृद्धि: इस दिन की पूजा से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
मानसिक शांति: हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचारों का उदय होता है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी के मंत्र
इस दिन भगवान गणेश की पूजा के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। ये मंत्र भगवान गणेश की कृपा पाने में सहायक होते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
ॐ गण गणपतये नमः
यह मंत्र भगवान गणेश का प्रमुख मंत्र है। इसका जाप करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
यह मंत्र भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों की आराधना के लिए किया जाता है। इसका जाप करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।
पूजन सामग्री
हेरंब संकष्टी चतुर्थी की पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। यह सामग्री पूजन को सफल बनाने में सहायक होती है।
- पुष्प: भगवान गणेश को लाल और पीले फूल अर्पित करें।
- धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश की आराधना करें।
- नैवेद्य: भगवान गणेश को मोदक और लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें।
- पंचामृत: भगवान गणेश को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) का स्नान कराएं।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का पूजन समय
पूजन का समय इस दिन विशेष महत्व रखता है। हेरंब संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- चंद्रोदय का समय: 24 अगस्त 2024 को रात्रि 9:00 बजे चंद्रमा उदय होगा। इस समय भगवान गणेश की पूजा करने के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिए।
समापन
हेरंब संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन है। इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। यह पर्व भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और उन्हें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
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